अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKON) एक विस्तृत अध्ययन
ISKON
ISKON Full Form in Hindi
ISKON Full Form in Hindi | इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस |
ISKON का परिचय
ISKON – इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKON), जिसे आमतौर पर हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से जाना जाता है, एक वैश्विक वैष्णव धार्मिक संगठन है। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKON), जिसे आमतौर पर हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से जाना जाता है, एक वैश्विक वैष्णव धार्मिक संगठन है। इसकी स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क शहर में एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी। ISKON भगवान कृष्ण को सर्वोच्च परमात्मा मानता है और भक्ति योग के माध्यम से उनके साथ एक व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने पर जोर देता है।
ISKON का इतिहास
- स्थापना: ISKON की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क शहर में एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी।
- वैश्विक प्रसार: प्रभुपाद ने दुनिया भर में भ्रमण किया और भगवद गीता सहित वैष्णव ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। इसने ISKON के तेजी से विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्तमान स्थिति: आज, ISKON दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है और इसके लाखों अनुयायी हैं।
ISKON की मान्यताएं
- भगवान कृष्ण: ISKON भगवान कृष्ण को सर्वोच्च परमात्मा मानता है और सभी जीवों के अंतिम लक्ष्य को कृष्ण के साथ एकात्मता मानता है।
- भक्ति योग: ISKON भक्ति योग को मोक्ष प्राप्त करने का सबसे प्रभावी मार्ग मानता है। भक्ति योग में भगवान कृष्ण की भक्ति करना, उनके नाम का जाप करना और उनके सेवा में लगे रहना शामिल है।
- जीवन का उद्देश्य: ISKON का मानना है कि जीवन का उद्देश्य भगवान कृष्ण की सेवा करना है।
- वैष्णव धर्म: ISKON वैष्णव धर्म की परंपरा का अनुसरण करता है, जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा पर केंद्रित है।
ISKON की गतिविधियाँ
- मंदिर: ISKON के मंदिर दुनिया भर में स्थित हैं जहां भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और भक्त एकत्रित होते हैं।
- संगीत और नृत्य: ISKON की भक्ति संगीत और नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। कीर्तन, भजन और भगवद गीता का पाठ नियमित रूप से किया जाता है।
- शिक्षा: ISKON कई स्कूल और कॉलेज चलाता है जहां वेदों और भगवद गीता का अध्ययन कराया जाता है।
- सामाजिक सेवा: ISKON सामाजिक सेवा के विभिन्न कार्यों में शामिल है, जैसे कि गरीबों को भोजन वितरित करना, अनाथालय चलाना और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना।
- प्रकाशन: ISKON भगवद गीता, श्रीमद्भागवत और अन्य वैष्णव ग्रंथों का प्रकाशन करता है।
ISKON की आलोचना
ISKON की आलोचना विभिन्न कारणों से की जाती है, जिनमें शामिल हैं
- संप्रदाय: कुछ लोग ISKON को एक संप्रदाय मानते हैं और इसके सिद्धांतों पर सवाल उठाते हैं।
- समाज से अलग-थलग रहना: कुछ लोग ISKON को समाज से अलग-थलग रहने वाला समूह मानते हैं।
- धन संग्रह: कुछ लोग ISKON पर धन संग्रह करने का आरोप लगाते हैं।
ISKON का योगदान
ISKON ने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया है। इसने लोगों को भगवान के साथ जुड़ने, शांति और खुशी पाने में मदद की है। ISKON ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
ISKON का निष्कर्ष
ISKON एक गतिशील और जीवंत आध्यात्मिक संगठन है जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। हालांकि, ISKON की अपनी आलोचनाएं भी हैं। कुल मिलाकर, ISKON एक ऐसा संगठन है जो भगवान कृष्ण के संदेश को दुनिया भर में फैलाने के लिए समर्पित है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
ISKON की स्थापना किसने की थी?
ISKON की स्थापना एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी।
ISKON का मुख्य उद्देश्य क्या है?
ISKON का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के साथ एक व्यक्तिगत संबंध स्थापित करना और भक्ति योग के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करना है।
ISKON के मंदिर कहाँ स्थित हैं?
ISKON के मंदिर दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में स्थित हैं।
ISKON क्या मानता है?
ISKON भगवान कृष्ण को सर्वोच्च परमात्मा मानता है और भक्ति योग को मोक्ष प्राप्त करने का सबसे प्रभावी मार्ग मानता है।
ISKON की आलोचना क्यों की जाती है?
ISKON की आलोचना संप्रदाय, समाज से अलग-थलग रहना और धन संग्रह जैसे कारणों से की जाती है।
ISKON का सामाजिक योगदान क्या है?
ISKON गरीबों को भोजन वितरित करना, अनाथालय चलाना और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना जैसे सामाजिक सेवा के कार्यों में शामिल है।
ISKON के अनुयायी क्या कहलाते हैं?
ISKON के अनुयायियों को आमतौर पर भक्त कहा जाता है।
ISKON के प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?
ISKON के प्रमुख ग्रंथ भगवद गीता और श्रीमद्भागवत हैं।
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