वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) बैंकिंग प्रणाली का आधार
SLR Full Form in Hindi
SLR Full Form in Hindi | वैधानिक तरलता अनुपात |
SLR का परिचय
SLR Full Form in Hindi – वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio – SLR) एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), बैंकिंग प्रणाली में तरलता को नियंत्रित करने के लिए करता है। यह एक निर्धारित प्रतिशत है जो वाणिज्यिक बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा नकदी या सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखने के लिए बाध्य करता है। यह अनुपात बैंकों को आर्थिक संकट के समय में नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
SLR का क्या अर्थ है?
SLR का अर्थ है वैधानिक तरलता अनुपात। यह एक ऐसा अनुपात है जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा नकदी या सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखने के लिए बाध्य करता है। यह अनुपात भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है और समय-समय पर बदल सकता है।
SLR का उद्देश्य
SLR का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है
- तरलता सुनिश्चित करना: SLR सुनिश्चित करता है कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी हो ताकि वे जमाकर्ताओं को उनके पैसे वापस कर सकें।
- अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना: SLR बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है और अर्थव्यवस्था में अस्थिरता को कम करता है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: SLR मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद करता है क्योंकि यह बैंकों को अधिक ऋण देने से रोकता है।
- बैंकिंग प्रणाली की मजबूती: SLR बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाता है और इसे संकट के समय में अधिक लचीला बनाता है।
SLR कैसे काम करता है?
जब कोई ग्राहक बैंक में पैसा जमा करता है, तो बैंक उस पैसे का एक हिस्सा SLR के रूप में रखता है। शेष राशि का उपयोग बैंक ऋण देने के लिए करता है। यदि SLR बढ़ा दिया जाता है, तो बैंकों के पास ऋण देने के लिए कम पैसा होगा, जिससे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और अर्थव्यवस्था में मांग कम हो सकती है।
SLR के प्रभाव
SLR के बैंकिंग प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- ऋण पर प्रभाव: जब SLR बढ़ाया जाता है, तो बैंकों के पास ऋण देने के लिए कम पैसा होता है, जिससे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और ऋण लेना महंगा हो सकता है।
- मुद्रास्फीति पर प्रभाव: SLR मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि यह बैंकों को अधिक ऋण देने से रोकता है।
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: SLR अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को प्रभावित कर सकता है। उच्च SLR अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को धीमा कर सकता है, जबकि कम SLR अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को बढ़ावा दे सकता है।
SLR और अन्य उपकरण
SLR के अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए अन्य उपकरणों का भी उपयोग करता है, जैसे कि
- कैश रिजर्व रेशियो (CRR): यह वह अनुपात है जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक में रखने के लिए बाध्य करता है।
- ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO): इसमें रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदता या बेचता है ताकि बाजार में तरलता को प्रभावित किया जा सके।
- रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट: ये ब्याज दरें हैं जिन पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को ऋण देता है या उनसे ऋण लेता है।
SLR का निष्कर्ष
SLR बैंकिंग प्रणाली का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी हो और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, SLR का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इसका अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
SLR का पूरा रूप क्या है?
SLR का पूरा रूप वैधानिक तरलता अनुपात है।
SLR का उद्देश्य क्या है?
SLR का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में तरलता सुनिश्चित करना, अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाना है।
SLR कैसे काम करता है?
SLR के तहत बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा नकदी या सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखना होता है।
SLR बढ़ाने का क्या प्रभाव होता है?
SLR बढ़ाने से बैंकों के पास ऋण देने के लिए कम पैसा होता है, जिससे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी हो सकती है।
SLR कम करने का क्या प्रभाव होता है?
SLR कम करने से बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक पैसा होता है, जिससे ब्याज दरें कम हो सकती हैं और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बढ़ सकती है।
SLR और CRR में क्या अंतर है?
SLR के तहत बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा नकदी या सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखते हैं, जबकि CRR के तहत बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक में रखते हैं।
SLR किसके द्वारा निर्धारित किया जाता है?
SLR भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है।
SLR में बदलाव का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?
SLR में बदलाव ब्याज दरों, मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को प्रभावित कर सकता है।
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